کرایہ دار نہیں، ہم ملک کے مالک ہیں: مدنی


No tenant, we are the owners of the land: Madani


"यह मुट्ठी भर सांप्रदायिक लोग हमें डराने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी ही ज़मीन पर, हमारे ही वतन में, हमारी ही धरती पर हमें डराने की कोशिश कर रहे हैं. हम डरने वाले नहीं हैं."


ये शब्द हैं भारत के मुसलमानों के सबसे प्रभावशाली धार्मिक संगठनों में से एक जमीयतुल-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव महमूद मदनी के.


पिछले कुछ महीनों में मुसलमानों और उनकी धार्मिक संस्थाओं के ख़िलाफ़ कुछ लोगों के आक्रामक बयानों से मुसलमानों में काफ़ी चिंता है.


'मुसलमानों में चिंता'


मौलाना मदनी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "हम यह बताना चाहते हैं कि इस देश में हम किराएदार नहीं हैं.


 हम इस के मालिक हैं. हम भारतीय इत्तेफ़ाकिया तौर पर नहीं हैं, हमने भारतीय होना चुना है. हम यही इस सरकार को बताना चाहते हैं."


पिछले दिनों दिल्ली में जमीयतुल-उलेमा-ए-हिंद की एक कॉन्फ़्रेंस हुई. 


इसमें देश के कई बड़े मुस्लिम नेताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बढ़ते हुए नफ़रत भरे बयानों और धार्मिक हमलों पर चिंता व्यक्त की.


'सरकार देख रही तमाशा'


शिया धार्मिक नेता मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि कई हिंदू संगठन मुसलमानों और इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत फैला रहे हैं और सरकार खामोशी से तमाशा देख रही है.


उन्होंने कहा, "इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. 


मदरसों को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है लेकिन मुसलमानों को धैर्य खोने की ज़रूरत नहीं है."


कॉन्फ़्रेंस में आचार्य प्रमोद कृष्णम और स्वामी अग्निवेश ने भी संप्रदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने की कोशिश की निंदा की.


'आक्रामक बयान'


मुस्लिम नेताओं ने मोदी सरकार से मांग की है कि वह अल्पसंख्यकों की धार्मिक संस्थाओं की सुरक्षा करे और कुछ हिंदू संगठनों की धार्मिक आक्रामकता और नफ़रत फैलाने की कोशिशों पर रोक लगाए.


एक साल पहले भाजपा की सरकार आने के बाद भारत में अल्पसंख्यक समुदायों और उनकी संस्थाओं के ख़िलाफ़ आक्रामक बयानों और हमलों में तेज़ी आई है.


हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले महीनों में कई बार कह चुके हैं कि वह संविधान की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध हैं.

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