एएमयू में ‘मुस्लिम समाज का बौद्धिक संकट: पारंपरिक समाधानों पर पुनर्विचार’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कैनेडी हाल में ‘मुस्लिम समाज का बौद्धिक संकट : पारंपरिक समाधानों पर पुनर्विचार’
विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। हिंदू मुस्लिम जन एकता मंच के संस्थापक स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने कहा कि मुसलमान साढ़े पांच सौ साल तक इस देश के शासक रहे।
उन्होंने जमीन पर हुकूमत की परंतु दिलों पर हुकूमत नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि इस्लाम दिल जीतने का मजहब है और इस्लाम में स्पष्ट है कि एक निर्दोष का कत्ल पूरी मानवता की हत्या है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम क्रोध, लड़ाई बदला लेने का धर्म नहीं बल्कि दया, माफी, दिल जीतने का मजहब है और यही इस्लाम दुनिया का नेतृत्व कर सकता है यदि मुसलमान उस पर अमल करें।
 स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने कहा कि भारत अहिंसावादी देश है और जिसने भी हिंसा का सहारा लिया वह पूरी तरह नाकाम रहा।
 उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ने जब हिंसा को अपनाया तो वह सिकुड़ गया और बौद्ध व जैन धर्म के लोग बहुसंख्यक बन गए।
परंतु सनातन धर्म में जब जानवर की जगह नारियल की बलि दी जाने लगी तभी से यह फैलता गया।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने अपने संबोधन में शिया-सुन्नी एकता एवं माडर्न एजूकेशन अपनाने पर सर्वाधिक जोर दिया।
उन्होंने कहा कि तुम वो बेहतरीन समुदाय हो, जिसे अल्लाह ने इंसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए भेजा है। जो क्रिमनल बन जाएगा वह मुसलमान नहीं होगा।
 उन्होंने कहा कि मूर्ति पूजा को इस्लाम सहन नहीं करता है लेकिन मूर्ति पूजा करने वालों को इस्लाम सहन करता है।
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. मुहम्मद अल गजाली ने कहा कि मुसलमानों के बौद्धिक पतन का मूल कारण उनका नैतिक पतन है।
आज पूरी दुनिया में मुस्लिम नेतृत्व बौद्धिक और नैतिक पतन से जूझ रही है और वह इस्लाम के सही संदेश से भटक गई है।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति जमीरउद्दीन शाह ने कहा कि आज दुनिया की एक प्रतिशत आबादी 99 प्रतिशत लोगों पर हावी है और अमरीका ने पूरे मुस्लिम जगत पर कब्जा कर लिया है।
ब्रिज कोर्स के निदेशक प्रो. राशिद साज ने कहा कि आज मुसलमान ही मुसलमान की जान का दुश्मन बना हुआ है। इसी बौद्धिक संकट का हल निकालने के लिये इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम को सह कुलपति सैयद अहमद अली, माइक गौस, एम शरफ हैदरी, प्रो. इसरार अहमद, इम्तियाजउद्दीने आदि ने भी संबोधित किया। संचालन प्रो. एफएस शीरानी ने किया।
घर वापसी राजनीति से प्रेरित
अलीगढ़। हिंदू-मुस्लिम जन एकता मंच के संस्थापक स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने पत्रकारों से कहा कि हिंदूवादी संगठनों का घर वापसी कार्यक्रम राजनीति से प्रेरित है।
 घर वापसी कराने वाले पहले अपने को सुधारें, उसके बाद घर वापसी की बात करें। उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि लोग घर छोड़कर भागे क्यों? पहले उन कमियों को चिन्हित कर दूर करें।
उन्होंने कहा कि वे कुरान दस बार पढ़ चुके हैं।

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