जर्मनी में एक नई फिल्म इतिहास के एक 'दिलचस्प मोड़' पर रोशनी डाल रही है कि तब ऐसा हुआ होता तो क्या होता.
ये कहानी दक्षिणी जर्मनी के एक छोटे से शहर के जॉर्ज एल्सर की है. 36 साल का ये बढ़ई द्वितीय विश्व युद्ध के शुरुआती दिनों में एडॉल्फ हिटलर को मारने के काफी करीब पहुंच गए थे.
आठ नवंबर 1939 को हिटलर म्यूनिख बियर हॉल में अपना सालाना भाषण दे रहे थे. ये आयोजन 1920 के दशक की शुरुआत के नाज़ी संघर्ष की याद में था.
हिटलर ने इस मौके का इस्तेमाल अपने अंतरराष्ट्रीय दुश्मनों का मजाक उड़ाने और युद्ध में जर्मनी की सफलता बताने के लिए किया.
पढ़ें विस्तार से
लेकिन वहां कुछ ऐसा भी हुआ जिसके बारे में न तो हिटलर को, न नाज़ियों के शीर्ष नेतृत्व और न वहां मौजूद वफादार श्रोताओं को गुमान तक था.
जिस जगह पर हिटलर खड़े थे, उससे कुछ ही फुट के फासले पर एक बम फटने वाला ही था.
बम का टाइमर बड़े जतन से सेट किया गया था. जॉर्ज एल्सर ने गुपचुप तरीके से साल भर तक इस योजना पर काम किया था. उन्हें यह एहसास था कि हिटलर के नेतृत्व में विश्व युद्ध होना तय है.
हिटलर इस मीटिंग से जल्द चले गए और 13 मिनट बाद बम फटा, आठ लोग मारे गए और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ. वो छत ढह गई जिसके ठीक नीचे हिटलर खड़े थे.
'चमत्कारिक बचाव'
निर्देशक ओलिवर हर्शबीगल की फिल्म एल्सर के बारे में और उन्हीं 13 मिनटों के बारे में है.
हिटलर को बचना था, सो वे बच गए, द्वितीय विश्व युद्ध के अगले पांच सालों में जर्मनी का नेतृत्व करने के लिए और यूरोप के यहूदियों का नरसंहार करने के लिए.
नाज़ी अख़बार 'वोएलकीशर बेओबैक्टर' ने इस घटना को 'हिटलर का चमत्कारिक बचाव' करार दिया.
इसमें कोई शक नहीं कि नाज़ियों का शासन हिटलर और उन नाज़ी नेताओं के बगैर भी जारी रहता जिन्हें एल्सर मारना चाहते थे. कम से कम थोड़े समय के लिए तो जरूर.
विश्व यु्द्ध
लेकिन इतिहासकारों को यकीन है कि 1939 में हिटलर की मौत से द्वितीय विश्व युद्ध की अवधि और इससे हुआ नुकसान भी कम हो जाता.
लेकिन सवाल उठता है कि एल्सर ने ये सब कुछ कैसे किया और क्यों? नाज़ी सरकार की खुफिया पुलिस 'द गेस्टापो' ने एल्सर को पकड़ने के बाद इसकी पड़ताल की.
बम धमाके के कुछ ही समय बाद एल्सर स्विट्ज़रलैंड से लगी जर्मन सीमा पार करने की कोशिश के दौरान पकड़े गए. उनकी जेब में कुछ प्रतिबंधित चीजें थीं.
उनसे पूछताछ से जुड़े दस्तावेज़ 1960 में सामने आए और ये पता चला कि एल्सर ने इस नाकाम कोशिश को कैसे अंजाम दिया था.
बड़ी साजिश!
अपने गृह शहर स्वाबिया में हथियारों की एक फैक्ट्री में काम करने के दौरान एल्सर ने विस्फोटकों के साथ प्रयोग शुरू किया फिर वे म्यूनिख के बियर हॉल में बढ़ई के तौर पर काम करने लगे.
बियर हॉल में हिटलर नवंबर के महीने में अपना सालाना भाषण दिया करते थे. एल्सर ने 30 रातों तक बड़े जतन से जरा सी आवाज़ पैदा किए बगैर बम रखने के लिए जगह बनाई.
कई दशकों तक ये माना जाता रहा कि एल्सर किसी बड़ी साजिश का हिस्सा थे.
लेकिन बकौल हिटलर के जीवनीकार इयान केरशॉ, "एल्सर अकेला व्यक्ति था, एक साधारण जर्मन, कामकाजी तबके का एक आदमी.
उन्होंने बिना किसी मदद और जानकारी के इसे अंजाम दिया था."
हालांकि नाज़ियों ने एल्सर को तुरंत नहीं मारा. उन्हें युद्ध के दौरान यातना शिविरों में रखा गया और आखिरकार 1945 में उनकी हत्या कर दी गई.
0 comments:
Post a Comment