बहुचर्चित सत्यम घोटाले में हैदराबाद की विशेष अदालत ने कंपनी के पूर्व चेयरमैन रामलिंग राजू समेत सभी दस दोषियों को सात साल की सज़ा सुनाई है.
अदालत ने राजू पर पाँच करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
इससे पहले, अदालत ने राजू, पू्र्व प्रबंध निदेशक और उनके भाई बी रामा राजू, कंपनी के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवास वदलामणि समेत सभी दस अभियुक्तों को दोषी ठहराया था.
ये घोटाला जनवरी 2009 में सामने आया था.
मामले की सुनवाई 50 महीनों तक चली. इस दौरान तीस महीनों तक राजू, और उनके प्रबंध निदेशक भाई बी रामा राजू ने जेल में बिताए. कंपनी के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवास वदलामानी समेत अन्य अधिकारियों पर भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ.
इस मामले का भारत में कॉरपोरेट सेक्टर पर व्यापक असर हो सकता है.
अभियुक्त रामलिंगा राजू को आईपीसी की धारा 120बी, 420, और 409 के तहत दोषी क़रार दिया गया है.
क्या हैं ये धाराएं
120बीः आपराधिक षडयंत्र की सज़ा के प्रावधान की इस धारा के तहत अपराध का षडयंत्र रचने के दोषी पाए गए अभियुक्त को उतनी ही सज़ा दी जा सकती है जितनी की सीधे उस अपराध को अंजाम देने वाले अभियुक्त को.
409: यह धारा आपराधिक विश्वासघात से जुड़ी है.
जनसेवक, व्यापारी, एजेंट या बैंककर्मी द्वारा आपराधिक विश्वासघात करने पर इस धारा के तहत दोषियों को दस साल से लेकर उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है.
420: धोखाधड़ी और बेइमानी से संबंधित इस धारा के तहत अधिकतम सात साल तक की सज़ा सुनाई जा सकती है.
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