मुस्लिम समुदाय के देश भर से आए वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया. कट्टरपंथ को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति और आतंकवाद के बढ़ते खतरे के बारे में आशंकाएं व्यक्त करते हुए इन नेताओं ने चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक एकजुटता दिखाने और सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया.
इन नेताओं ने मुस्लिम धर्मस्थलों, मस्जिदों और मदरसों की संपत्तियों से जुड़े मुद्दों की तरफ नरेन्द्र मोदी का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने मुस्लिम युवाओं को खासतौर से शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार से सहायता देने को कहा.

प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बात को गौर से सुना और उन्हें मुस्लिम समाज के सभी वर्गो की शिकायतों को दूर करने में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया.

उन्होंने मुस्लिम युवाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने पर जोर दिया ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकें. उन्होंने उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार लाने और उनकी शिक्षा संबंधी जरूरते पूरी करने के लिए पूरी सहायता देने का वादा किया.

मुस्लिम नेताओं ने तेज आर्थिक विकास, सांप्रदायिक सौहार्द्र और शांति को बढ़ावा देने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए समुदाय का पूरा समर्थन देने का प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया.

प्रधानमंत्री से मिलने वालों में सैयद सुल्तान उल हसन, मिसबाही (सजदा नशीं, अजमेर शरीफ), हजरत गुलाम यासीन साहिब (शहर काजी, वाराणसी), शेख वसीम अशरफी (इमाम तन्जीम, मुंबई), इंजी. मोहम्मद हामिद (अध्यक्ष, इमाम तन्जीम, नागपुर), अलामा तस्लीम राजा साहिब (दरगाह बरेलवी शरीफ, उत्तर प्रदेश), सैयद अब्दुल राशिद अली (सैयद शाहिद दरगाह, शहडोल, मध्य प्रदेश), मौलाना अबु बक्र बसानी (नागौरी शरीफ दरगाह, राजस्थान), सैय्यद अली अकबर (ताजपुरा शरीफ, चेन्नई), हाजी अब्दुल हफीज खान (इमाम, तन्जीम बालाघाट, मध्य प्रदेश) शामिल थे. 

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